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मुस्कान — सुकून का सबसे सरल रास्ता
एक बार की बात है, सुबह-सुबह का समय था। हम कॉलेज पहुँच रहे थे। मैं कॉलेज के गलियारे से गुजर ही रही थी कि मेरी सखी ने हल्की मुस्कान के साथ कहा,
"देखो… वो गार्ड भैया जब मुस्कुराकर अभिवादन करते हैं, तो अपने आप मुस्कुराना पड़ता है।"
मैंने भी अनायास उनकी तरफ नज़र डाली — सच में, उनके चेहरे पर एक सधी हुई, सच्ची मुस्कान थी। न कोई दिखावा, न कोई बनावट… बस सहज और सरल।
इन सब से परे, 18 से 20 साल की उम्र के बच्चे… ऐसे ही हँसते-मुस्कुराते, अभिवादन करते हुए आते हैं। उन्हें देखकर भी मन बरबस खिल उठता है। उस पल सारे तनाव, उलझनें और दुनियादारी जैसे किनारे हो जाते हैं, और मुस्कुराना ही पड़ता है।
भले ही दुनियादारी के लिए या मात्र व्यवहारिकता के कारण कोई मुस्कुराए, तो सामने वाले को देखकर हम भी मुस्कुरा देते हैं। और उस पल हम सहज ही किसी की मुस्कान का हिस्सा बन जाते हैं… यहाँ तक कि किसी के मुस्कुराने की वजह भी। कुछ समय का यह सुकून किसी भी व्यक्ति के जीवन के लिए अमूल्य होता है।
तो मुस्कुराइए — क्योंकि यह जीवन भी आपका है, यह जंग भी आपकी है, और जीतेंगे भी आप ही।
तब समझ आया — किसी की मुस्कान केवल उनके लिए नहीं होती, वह आस-पास के लोगों को भी सुकून देती है। जैसे गर्मी के दिन में वट वृक्ष के पास से गुजरता ठंडी हवा का एक झोंका।
क्या पता, आपकी एक मुस्कान किसी का पूरा दिन बदल दे। 🌼




